अगर आप भी जानना चाहते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है, ऑप्शन ट्रेडिंग में put और call क्या होता है, ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे काम करता है, ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखें, ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान, ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बेस्ट बुक, ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं, ऑप्शन ट्रेडिंग के क्या नियम है, ऑप्शन ट्रेडिंग रिस्क मैनेजमेंट आदि के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े आपके ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़े सभी प्रश्नों का हल मिल जाएगा!
Option Trading in Hindi | ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?
ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसे खरीदने पर हमें किसी चीज को भविष्य में एक निर्धारित तारीख को निर्धारित प्राइज पर बेचने का अधिकार मिलता है लेकिन यह हमारे ऊपर है कि हम उस निर्धारित तारीख को हमारे अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं कि नहीं और हम हमारे अधिकार का उपयोग तब ही करेंगे जब हमें प्रॉफिट होगा!
EX-मान लीजिए अभिषेक एक बिजनेसमैन है वह राहुल से 1 एकड़ जमीन खरीदना चाहते हैं जिसकी मार्केट प्राइज अभी 10 लाख है जमीन के बारे में न्यूज़ है कि गवर्नमेंट उससे थोड़ी दूरी पर एयरपोर्ट बनाने का निर्णय लेगी अभिषेक जानता है कि जैसे ही गवर्नमेंट एयरपोर्ट बनाने का निर्णय लेगी तो उस जमीन की प्राइस काफी बढ़ जाएगी इसी को देखते हुए अभिषेक चाहता है कि वह जमीन को अभी के मार्केट प्राइस 10 लाख रुपए में खरीद ले और जैसे ही उसकी प्राइस बड़े वह उसे बेचकर मुनाफा कमाए!
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अभिषेक को डाउट है कि गवर्नमेंट अगर किसी कारणवश एयरपोर्ट बनाने का निर्णय ना ले तो उसके 10 लाख रुपए उस जमीन में फस जाएंगे इसी रिस्क को देखते हुए अभिषेक ने जमीन के पूरे पैसे ना देकर राहुल को 50 हजार रुपए का टोकन अमाउंट दिया और यह एग्रीमेंट किया कि वह जमीन को आज नहीं आज से 3 महीने बाद 10 लाख रुपए की प्राइस पर खरीदेंगेऔर अगर 3 महीने बाद अभिषेक उस जमीन को खरीदने का निर्णय नहीं लेते तो राहुल उनके दिए हुए 50 हजार के टोकन अमाउंट को रख सकते हैं
इस प्रकार मिस्टर अभिषेक ने मिस्टर राहुल को 50,000 रुपए देकर कॉन्ट्रैक्ट किया और 1 एकड़ जमीन को 3 महीने बाद खरीदने का अधिकार खरीदा
इसी तरीके के कॉन्ट्रैक्ट को हम ऑप्शन कहते हैं जब हम ऑप्शन खरीदते हैं तो हमें यह ऑप्शन मिलता है कि भविष्य में हम किसी चीज को निर्धारित प्राइस पर खरीद या बेच सकते हैं!
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट हमेशा दो लोगों के बीच में होता है जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को बाय करता है उसे ऑप्शन बायर कहा जाता है और जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को सेल करता है उसे ऑप्शन सेलर का जाता है!
जैसे कि हमारे उदाहरण में अभिषेक ने राहुल से ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बाय किया है इस वजह से अभिषेक यहां ऑप्शन बायर है और राहुल यहां ऑप्शन सेलर है ऑप्शन बायर ऑप्शन सेलर से ऑप्शन खरीदने के लिए जो प्राइस पे करता है उसे ऑप्शन प्राइस या ऑप्शन प्रीमियम कहते!
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट क्या होते हैं?
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट किसी भी इंडेक्स (निफ़्टी, बैंक निफ़्टी) और स्टॉक को खरीदने के लिए दो ऑप्शन होते हैं अगर हमें लगता है कि मार्केट ऊपर जाएगा तो हमें कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए और यदि हमें लगता है कि यहां से मार्केट नीचे जाएगा तो उस समय हमें पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए!
ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं 1 को हम कॉल करते हैं 1 को हम कॉल ऑप्शन करते हैं और दूसरे को पुट ऑप्शन!
कॉल ऑप्शन क्या होता है? | What is call option?
कॉल ऑप्शन हम उस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को कहते हैं जिसे खरीदने पर हमें भविष्य में किसी चीज को हमें एक फिक्स डेट और एक फिक्स प्राइस पर खरीदने का अधिकार मिलता है
हमारे उदाहरण में मिस्टर अभिषेक ने मिस्टर राहुल से भविष्य में जमीन खरीदने का अधिकार बाय किया इस तरह मिस्टर अभिषेक ने मिस्टर राहुल से असल में एक और ऑप्शन बाय किया था और हम इस कॉन्ट्रैक्ट में मिस्टर अभिषेक को कॉल ऑप्शन बायर और मिस्टर राहुल को कॉल ऑप्शन सेलर कहेंगे!
पुट ऑप्शन क्या होता है? | What is put option?
पुट ऑप्शन हम उस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को कहते हैं जिसे बाय करने पर हमें भविष्य में हमें एक फिक्स डेट और फिक्स प्राइस पर सेल करने का अधिकार मिलता है!
Ex-मान लीजिए राहुल एक दूध वाला है और उसके पास एक डेयरी फार्म भी है जिसकी मार्केट प्राइस अभी 5 लाख रुपए है राहुल ने पिछले कुछ दिनों से देखा है कि पैकेज दूध के आने से उनके दूध की सेल कम हो रही है और हो सकता है कि कुछ दिन में उसे अपना डेरी बिज़नेस बंद करना पड़े साथ ही राहुल को पता है कि जब ऐसा होगा तो उनके डेयरी फार्म की प्राइस 5 लाख रुपए की तुलना में काफी कम हो जाएगी इसी बात को ध्यान में रखते हुए राहुल अपने डेरी फार्म को आज के मार्केट प्राइस 5 लाख पर सेल करना चाहते हैं!
पर उन्हें डाउट है कि कुछ दिनों बाद लोगों को पैकेज मिलक उतना अच्छा ना लगे और वापस से उनकी सेल्स बढ़ जाए इन दोनों तरह के रिस्क को देखते हुए मिस्टर राहुल ने अपने बिजनेसमैन फ्रेंड मिस्टर रितेश को 20 हजार रुपए देखकर अपना डेरी फार्म 6 महीने बाद 5 लाख रुपए में सेल करने का ऑप्शन कांटेक्ट किया यानी कि राहुल के पास यह ऑप्शन है कि 6 महीने बाद वह मिस्टर हितेश को अपना डेरी फार्म 5 लाख रुपए में सेल कर सकते हैं!
लेकिन यह मिस्टर राहुल पर है कि वह 6 महीने बाद ऐसा करना चाहेंगे या नहीं अगर मिस्टर राहुल अपने इस ऑप्शन का इस्तेमाल करके अपने डेयरी फार्म को बेचने का निर्णय लेते हैं मिस्टर नितेश को उनका डेरी फार्म 5 लाख रुपए में खरीदना ही पड़ेगा फिर चाहे मिस्टर राहुल के डेयरी की प्राइस 2 लाख ही क्यों ना हो गई हो!
इस तरह इस उदाहरण में मिस्टर राहुल ने मिस्टर रितेश से भविष्य में अपना डेरी फार्म 5 लाख रुपए में सेल करने का ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बाय किया और हम ऐसे ऑप्शन को ही पुट ऑप्शन कहते हैं इस कांट्रेक्टर में हम मिस्टर राहुल को पुट ऑप्शन बायर और मिस्टर रितेश को पुट ऑप्शन सेलर कहते हैं!
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें? | option trading kaise kare-
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपको एक डीमैट अकाउंट खुलवाना होता है यह डिमैट अकाउंट आप ऑनलाइन अपने मोबाइल की मदद से खोल सकते हो! डिमैट अकाउंट ओपन होने के बाद आपको उसमें F&O सेगमेंट एक्टिव करवाना होता है उसके बाद आप आसानी से इंडेक्स(निफ़्टी, बैंक निफ़्टी) और स्टॉक में ट्रेडिंग कर सकते हो!
ऑप्शन ट्रेडिंग दो प्रकार से की जाती है-
- option buying
- option selling
option buying ट्रेडिंग में कॉल और पुट दोनों buy कर सकते हो अगर आपको लगता है कि यहां से मार्केट ऊपर जा सकता है तो आपको call buy करना होता है और अगर आपको लगता है मार्केट यहां से नीचे जा सकता है तो आपको put buy करना होता है! option buying आप केवल 200 से भी शुरू कर सकते हो!
option selling ट्रेडिंग में आप कॉल और पुट दोनों को सेल कर सकते हो अगर आपको लगता है कि यहां से मार्केट ऊपर जाएगा तो आपको call ऑप्शन सेल करना होता है और अगर आपको लगता है कि मार्केट यहां से नीचे जाएगा तो आपको put ऑप्शन सेल करना होता है! निफ़्टी और बैंक निफ़्टी में ऑप्शन सेलिंग के लिए आपको कम से कम 1 से 2 लाख रुपए चाहिए!
Option buying करना फायदेमंद है या फिर Option selling-
ज्यादातर लोग ऑप्शन सेलिंग करते हैं कुछ ही लोग ऑप्शन बाइंग करते हैं क्योंकि Option buying करने में नुकसान होने की संभावना बहुत अधिक रहती है!
Option buying करने की तुलना में Option selling में बहुत अधिक पैसा लगता है मार्केट हमेशा उसी डायरेक्शन में जाता है जिस डायरेक्शन में अधिक पैसा लगा हो ज्यादातर बड़े-बड़े ट्रेडर Option selling करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि मार्केट कौन सी डायरेक्शन में जा सकता है!
मार्केट में ज्यादातर पैसा Option seller ही कमाता है जबकि Option buyer ज्यादातर नुकसान करते हैं क्योंकि Option seller के पास बहुत अधिक एक्सपीरियंस और अधिक पैसा होता है जबकि ज्यादातर Option buyer मार्केट में नए लोग होते हैं
यह जरूरी नहीं है कि Option seller ही ज्यादा पैसा कमाता है बहुत सारे Option buyer भी होते जो दिन के करोड़ों कमाते हैं लेकिन इसके लिए आपके पास बहुत अधिक एक्सपीरियंस की जरूरत है आपको पता होना चाहिए कि Option seller किस दिशा में मार्केट को ले जाना चाहते हैं अगर आप भी उनके डायरेक्शन में पैसा लगाते हो तो आपको भी उनके साथ प्रॉफिट मिल सकता है यह सब आपको ऑप्शन चैन, कैंडलेस्टिक पेटर्न, ऑप्शन ग्रीक आदि सीखने पर आसानी से पता चल जाएगा!
ऑप्शन ट्रेडिंग में सफल होने का क्या तरीका है?–
- अगर आप भी ऑप्शन ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए पहले आपको इसके बारे में सीखना चाहिए!
- रोज लाइव मार्केट में कैंडलेस्टिक पेटर्न को देखना चाहिए और साथ में पेपर ट्रेड भी करना चाहिए!
- आपको बार-बार कैंडलेस्टिक चार्ट के अंदर प्रैक्टिस करनी चाहिए!
- आपको ऑप्शन चैन, कैंडलेस्टिक पेटर्न, ऑप्शन ग्रीक और कुछ महत्वपूर्ण इंडिकेटर के बारे में पता होना चाहिए!
- अगर आपको एक सफल ऑप्शन ट्रेडर बनना है तो आपको अपना बेसिक मजबूत करना होगा!
- आपको आपके इमोशन पर कंट्रोल होना चाहिए!
- आपको अपना रिस्क रीवार्ड रेश्यो फॉलो करना चाहिए!
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखें? | option trading kaise sikhe in hindi-
ऑप्शन ट्रेडिंग सीखने के लिए सबसे पहले आपको कैंडलेस्टिक पेटर्न, ऑप्शन चैन, स्ट्राइक प्राइस, ऑप्शन ग्रीक और कुछ महत्वपूर्ण इंडिकेटर के बारे में पता होना चाहिए! शुरुआत में कम lot से ट्रेडिंग करके जैसे जैसे प्रॉफिट होगा वैसे वैसे आप अपना lot साइज बढ़ा सकते हो!
- ऑप्शन ट्रेडिंग सीखने के लिए सबसे पहले आपको ऑप्शन ट्रेडिंग का बेसिक सीखना होगा आपका बेसिक जितना मजबूत होगा आप उतने ही सफल ट्रेडर बनेंगे!
- कैंडलेस्टिक पेटर्न चार्ट को बार-बार बारीकी से समझे!
- लाइव मार्केट में कैंडलेस्टिक पेटर्न की प्रैक्टिस करें!
- कैंडल्स को देखकर बायर ओर सेलर का इमोशन पहचानने की कोशिश करें!
- किसी अच्छे सलाहकार या टीचर से सीखने की कोशिश करें
- जब तक आप 80- 90% सही ना हो तब तक पेपर ट्रेड करें उसके बाद ही रियल मनी से ट्रेड करें!
ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम–
एक सफल ऑप्शन ट्रेडर बनने के लिए आपको अपना रिस्क मैनेजमेंट, मनी मैनेजमेंट, और अपने इमोशंस को कंट्रोल में रखना होगा इनके बिना आप चाहे कितनी ही प्रैक्टिस कर ले आप सफल ट्रेडर नहीं बन सकेंगे!
Stoploss और target को फॉलो करें-
अपना ट्रेड लेने के बाद एक निश्चित Stoploss और एक निश्चित target को फॉलो करना चाहिए अगर आपने स्टॉपलॉस नहीं लगाया और मार्केट आप के विपरीत डायरेक्शन में चला गया तो आपका बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है यह स्टॉप लॉस आप अपने टेक्निकल के आधार पर लगा सकते हैं
आपका स्टॉपलॉस आपके टारगेट के या तो बराबर होना चाहिए या उससे कम होना चाहिए स्टॉप लॉस आपके टारगेट से बड़ा नहीं होना चाहिए! यह स्टॉप लॉस और टारगेट आपको निश्चित अनुपात में लगाना होता है जिसकी बात हम आगे पैराग्राफ में करेंगे! आपको एक सफल ट्रेडर बनने के लिए एक निश्चित stoploss को फॉलो करना चाहिए!
Risk to reward ratio को फॉलो करें-
Risk to reward रेश्यो का मतलब होता है कि अगर मार्केट आपकी दिशा में नहीं जाता है तो आप कितने रुपए का रिस्क ले सकते हैं यानी कि कितने रुपए आप अपने पर ट्रेड में मार्केट को देने को तैयार हो सकते हैं जिससे आपके इमोशन और आपकी फैमिली पर कोई फर्क ना पड़े अगर आप Risk to reward ratio को सही से फॉलो नहीं करती हो तो आप ट्रेडिंग में कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे!
Risk management-
Risk management करने के लिए 2% का नियम बनाया गया है जब आप ट्रेड करते हैं तो आपकी संपूर्ण राशि जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में है आप आप उसमें से 2% से ज्यादा का रिस्क नहीं ले सकते क्योंकि जब आपको नुकसान होगा तो आपको आपकी संपूर्ण राशि का केवल 2% ही नुकसान होगा जो एक ट्रेड में नुकसान के लिए योग्य है!
Ex-दोस्तों मान लीजिए आप 1 लाख रुपए का निवेश कर रहे हैं तो आपके एक सिंगल ट्रेड में पूरे निवेश का केवल 2% ही रिस्क होना चाहिए यानी कि जब आप 1 लाख रुपए लगाते हैं और मार्केट आपकी विपरीत डायरेक्शन में जाने लगता है तो आपको केवल 2000 रुपए का ही नुकसान होगा!
यह 2% का नियम आपके पूरे कैपिटल पर लागू होता है!
Risk to reward ratio-
जब आप टेक्निकल एनालिसिस करके ट्रेडिंग करते हैं कोई भी ट्रेडिंग सेटअप आपको 70% अधिक एक एक्यूरेसी नहीं दे सकता हर एक टेक्निकल कि 10 में से 3 बार फेल होने की संभावना रहती है जब हमारा टेक्निकल एनालिसिस फेल होता है तो Risk to reward हमारे लॉस को काफी हद तक कम कर देता है!
दोस्तों Risk to reward थ्योरी में 1:3 के नियम को सबसे लोकप्रिय माना जाता है अधिकांश इंट्राडे ट्रेडर इसी रेश्यो को फॉलो करते हैं इसका मतलब यह है कि जब आप कोई ट्रेड ले रहे हैं तब आपका अगर टारगेट 3 रुपए का है तो आप का स्टॉप लॉस 1 रुपए का होना चाहिए जैसे कि आपने कोई ट्रेड दिया जिसमें आपका टारगेट ₹3000 का है तो उसमें आपका स्टॉपलॉस कम से कम 1000 रुपए का तो होना ही चाहिए!
इसके अलावा आप ज्यादा रिस्क ले सकते हैं तो आप 1:2 और 1:1 का Risk to reward फॉलो कर सकते हैं 1:1 का मतलब आप जितने का टारगेट रखते हो इतने रुपए का आप लोन भी ले सकते हो! इन तीन ratio के अलावा आपको दूसरा कोई ratio फॉलो नहीं करना है!
Risk to reward ratio का नियम आप जो अभी वर्तमान में जो ट्रेड ले रहे हो उस पर लागू होता है यानी कि आप जो वर्तमान में ट्रेड ले रहे हो उस पर कितने रुपए का रिस्क ले सकते हो!
अपने इमोशन और साइकोलॉजी को कंट्रोल करना सीखो-
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे हैं और आपसे अपने इमोशन पर कंट्रोल नहीं हो रहा है तो आप चाहे कितनी भी प्रैक्टिस कर ले आप एक सफल ट्रेडर नहीं बन सकते!
इमोशन पर कंट्रोल नहीं होने के कारण आप बहुत बार अपने टारगेट से पहले कम प्रॉफिट में ही निकल जाते हैं और जब आपका लोस चल रहा हो तो आप अपने स्टॉपलॉस को फॉलो नहीं करते और एक बड़ा लॉस ले लेते हैं जिससे आपका रिस्क मैनेजमेंट फॉलो नहीं होता!
इमोशन के कारण ट्रेड लेने के बाद आ अपने स्टॉप लॉस और टारगेट को सही से फॉलो नहीं करते हो जिससे आप कभी भी प्रॉफिटेबल नहीं होते हो! अगर ट्रेड लेने के बाद ट्रेड के बीच में आपका इमोशन आ रहा है तो आप ट्रेड नहीं लेना चाहिए!
ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स | intraday trading tips-
- ट्रेड लेने से पहले अपने आप से सवाल करें कि क्या मेरा टेक्निकल एनालिसिस सही है आपको अपने एनालिसिस पर विश्वास होना चाहिए!
- set-up बनने पर ही ट्रेड ले कोई भी बार-बार रेंडम ट्रेड नहीं लेना चाहिए
- उसके बाद एक Risk to reward के हिसाब से स्टॉप लॉस और टारगेट लगाना चाहिए!
- ट्रेड लेने के बाद आपको अपने इमोशन पर कंट्रोल रखना चाहिए!
- stoploss और traget दोनों से जो पहले मिले वह लेकर मार्केट से निकल जाना
- एक दिन में बार-बार और ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए!
- बड़ा टारगेट लेने के लिए ट्रेलिंग स्टॉप लॉस फॉलो करें!
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बेस्ट बुक | option trading books in hindi-
- कैंडलेस्टिक एनालिसिस और कैंडल स्टिक की पहचान
- इंट्राडे ट्रेडिंग की पहचान
- ऑप्शन स्ट्रेटजी की पहचान
- ट्रेडनीति
कॉल और पुट ऑप्शन में क्या अंतर है?
कॉल और पुट ऑप्शन में क्या अंतर है? कॉल ऑप्शन आप तब लेते हैं जब आपको लगता है कि मार्केट ऊपर जाएगा और पुट ऑप्शन तब लेते हैं कि जब आपको लगता है मार्केट यहां से नीचे जा सकता है!
पुट ऑप्शन पर आप कितना खो सकते हैं?
पुट ऑप्शन पर आप कितना खो सकते हैं? अगर आपने स्टॉप लॉस नहीं लगाया तो आप ऑप्शन में अपना पूरा पैसा खो सकते हैं
आपको ऑप्शन कॉल कब बेचना चाहिए?
आपको ऑप्शन कॉल कब बेचना चाहिए? ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल तब बेचना चाहिए जब आपको लगता है कि मार्केट यहां से नीचे जा सकता है!
क्या ऑप्शन राइटिंग सेफ है?
क्या ऑप्शन राइटिंग सेफ है? हां ऑप्शन राइटिंग ऑप्शन बाइंग की तुलना में सेफ है क्योंकि यहां टाइम डीके नहीं होता!
ऑप्शन का प्राइस कब बढ़ता है?
ऑप्शन का प्राइस कब बढ़ता है? ऑप्शन का प्राइस तब बढ़ता है जब मार्केट आपकी डायरेक्शन में जाता है!
अधिक जानने के लिए-https://en.wikipedia.org/wiki/Option_(finance)